Bihar Fasal Nuksan Muaawja 2025: इस साल अत्यधिक बारिश और बाढ़ के कारण कई राज्यों में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से बिहार राज्य में नदियों में आई बाढ़ से हजारों एकड़ में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। ऐसे कठिन हालात को देखते हुए बिहार सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए मुआवजा योजना की घोषणा की है। इस बिहार फसल नुकसान मुआवज़ा 2025 के तहत किसानों को न सिर्फ बर्बाद फसलों के लिए मुआवजा दिया जाएगा। बल्कि उन्हें अगली फसल की बुवाई के लिए भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसान अगली फसल के लिए आवश्यक संसाधन जुटा सकें और उनकी आजीविका पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।
इसके अतिरिक्त बिहार फसल नुकसान की जानकारी दर्ज करने और समय पर सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है। जो रात दिन 24 घंटे किसानों की सेवा में उपलब्ध रहेगा। किसान इस नियंत्रण कक्ष में फोन या ऑनलाइन माध्यम से अपने Fasal Nuksan की सूचना दे सकते हैं। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि मुआवजा वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा। ताकि प्रत्येक प्रभावित किसान को समय पर और उचित मुआवजा मिल सके।
Bihar Fasal Nuksan Muaawja 2025: फसलों को हुई क्षति का आंकलन करने के दिए निर्देश
बिहार फसल नुकसान मुआवज़ा 2025: बिहार में इस साल बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से गंगा किनारे के जिलों में बाढ़ ने खरीफ सीजन की फसलों को बर्बाद कर दिया है। इसी के मद्देनजर बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित जिलों का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को फसल क्षति का आकलन करने के निर्देश दिए हैं।
अधिकारियों को पंचायतवार खाद्यान्न और बागवानी फसलों जैसे मौसमी फल-सब्जियों के नुकसान का आकलन 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। यह आकलन जिला, अनुमंडल, और प्रखंड स्तर पर कृषि पदाधिकारियों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा (Bihar Fasal Nuksan Muaawja2025) देने और भविष्य में उनकी मदद के लिए योजनाओं के विस्तार की बात कही है।
Fasal Nuksan Muaawja2025: खड़ी फसलों को हुए नुकसान पर दी जाएगी सहायता
बिहार के कृषि सचिव ने हाल ही में मुख्यालय पर सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शस्य), और जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ मिलकर नदियों में बढ़ते जलस्तर के कारण खड़ी फसलों को हुए नुकसान की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि प्रभावित किसानों को केवल खड़ी फसलों के नुकसान का मुआवजा ही नहीं बल्कि अगली फसल की बुवाई के लिए भी विभाग द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के आसपास गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर का निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को सतर्क रहने और सभी आवश्यक तैयारियों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से केले की फसल को हुए नुकसान की गंभीरता को देखते हुए उसकी भरपाई के लिए उचित मुआवजा दिए जाने का आदेश भी दिया है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि नुकसान का आंकलन सही तरीके से किया जाए ताकि सभी प्रभावित किसानों को समय पर सहायता मिले। इस बीच कृषि विभाग ने कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को समुचित जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
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किसानों को फसल नुकसान की सूचना के लिए बनाया गया कंट्रोल रूम
कृषि सचिव के अनुसार बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए विभाग ने किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए कृषि भवन, मीठापुर में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। यह नियंत्रण कक्ष रात दीन 24 घंटे संचालित रहेगा, ताकि किसानों से फसल नुकसान (Bihar Fasal Nuksan Muaawja 2025) से संबंधित सूचना एकत्र की जा सके। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए कृषि निदेशक नितिन कुमार सिंह को वरीय नोडल पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। जबकि सुशील कुमार संयुक्त निदेशक (सांख्यिकी) प्रभारी पदाधिकारी की भूमिका निभाएंगे।
इसके साथ ही राज्य में बाढ़ से प्रभावित जिलों के कृषि विभाग के सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां अगले आदेश तक रद्द कर दी गई हैं। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे क्षेत्र में सक्रिय रहकर किसानों को सहायता पहुंचाएं। इस दौरान प्रभावित किसानों को त्वरित सहायता देने के लिए विशेष टीमों का गठन भी किया गया है। किसानों को जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। ताकि वे सीधे अपनी समस्याओं और फसल नुकसान की जानकारी विभाग को दे सकें।
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बिहार फसल नुकसान मुआवज़ा 2025: बिहार में बाढ़ से कितना हुआ नुकसान
बिहार फसल नुकसान मुआवज़ा 2025: बिहार में बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से दर्जन भर से अधिक जिलों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। जिसमें ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी पानी भर गया है। विशेष रूप से दियारा क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। जिससे किसानों के खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं। बाढ़ के कारण न केवल फसलें बल्कि किसानों के पशुओं को भी भारी नुकसान हुआ है। जिससे उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है।
इस संकट के चलते कई किसान अपने घरों से पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर संकट और बढ़ गया है। स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्य शुरू किए हैं। लेकिन स्थिति को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं लग रहा है। बाढ़ के कारण परिवहन और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुई है। जिससे राहत सामग्री का वितरण कठिन हो गया है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित सहायता पहुंचाने के लिए आपात सेवाएं सक्रिय की हैं। लेकिन बहुत से लोग अभी भी बेसहारा और संकट में हैं। इस गंभीर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया गया है। ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
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बिहार में फसल नुकसान पर कितना मिलता है मुआवजा
Bihar Fasal Nuksan Muaawja2025: बिहार सरकार प्राकृतिक आपदाओं जैसे बैमासम बारिश, ओलावृष्टि और बाढ़ के कारण किसानों की फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा प्रदान करती है। फसलों के नुकसान के आधार पर किसानों को प्रति एकड़ मुआवजा राशि 2,500 रुपए से लेकर 22,500 रुपए तक दी जा सकती है। यदि नुकसान सिंचित भूमि पर हुआ है। तो सरकार द्वारा 17,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा। वहीं असिंचित भूमि पर फसल नुकसान के मामले में किसानों को 8,500 रुपए प्रति एकड़ की सहायता मिलेगी।
यह मुआवजा अधिकतम दो एकड़ भूमि के लिए उपलब्ध है। जिससे एक छोटे से किसान को आवश्यक राहत मिल सके। कृषि विभाग के अंतर्गत गैर-सिंचित, सिंचित और बहुफसली खेतों के लिए न्यूनतम मुआवजा राशि क्रमशः 1,000 रुपए, 2,000 रुपए और 2,500 रुपए निर्धारित की गई है। इस मुआवजा प्रणाली का उद्देश्य किसानों को आपदा के बाद तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करना है। ताकि वे अपनी फसल की बर्बादी से उबर सकें और अपनी आजीविका को पुनः स्थापित कर सकें। इसके साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मुआवजा वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध हो ताकि प्रभावित किसानों को त्वरित सहायता मिल सके।
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